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बोलते पत्थर और गीत गाते प्रपात से मुलाकात : भेड़ा घाट

  • Writer: Medha Bajpai
    Medha Bajpai
  • Mar 15, 2023
  • 3 min read

प्रकृति ऐसी पाठ शाला है की उसके सान्निध्य में रहने वाला जीवन के गूढ़ रहस्य और जटिलताओं के सरल समाधान ढूंढ ही लेता है। श्री राम भी भगवान राम वन वास के 14 वर्ष वन में रहने के बाद कहलाये। तभी से ये प्रकृति सामंजस्य कर ज्ञान प्राप्ति की परंपरा अब तक जारी है ।

मेरे जीवन के लगभग 25 वर्ष माँ नर्मदा के दर्शन करते हुए बीते हैं। अलग अलग प्रवाह को अनुभूत करने का अनूठे एहसास है मेरे पास।

बसंत में वीतरागी सी शिथिल माँ नर्मदा , ग्रीष्म में विरल अलसायी सी, वर्षा ऋतु में कुपित विकराल रूप में, कभी सौम्य सुंदरी सी और कभी माँ के रूप मे पोषण करती हुई । अल्हड मुग्धा नायिका सा रूप नर्मदा का कम ही दिखता है क्योंकि नर्मदा को संघर्ष की नदी भी कहा जाता है, पहाड़ों को तोड़ती और स्वाभिमान जागने का प्रतीक है I

नर्मदा का प्रदूषण रहित स्पर्श, प्राकृतिक सौंदर्य और उसके द्वारा चट्टानों में की गई शिल्प कारी अद्भुत सम्मोहन रचती है ।

प्रवाह नदी का अनिवार्य गुण है लेकिन प्रपात उसका अतिरिक्त योग्यता है जिसे पाकर उसमें ऐश्वर्य और सौंदर्य जुड़ जाता है और साधारण लौकिक से असाधारण अलौकिक हो जाती है



भेड़ाघाट जबलपुर शहर में है। यह शहर भारत के ह्रदय राज्य मध्यप्रदेश का खूबसूरत पर्यटन स्थल है। कुदरती खूबसूरती के साथ इतिहास का परिदृश्य इस स्थल को खास बनाने का काम करता है। माना जाता है कि इस भूमि पर इंसान ने अपने कदम 300 ईसा पूर्व के बाद रखे थे।

जनश्रुति के अनुसार भेड़ाघाट का नाम भृगु ऋषि के नाम पर पड़ा है विश्व प्रसिद्ध स्थान जबलपुर से लगभग 20 किलोमीटर दूर यहाँ विश्व प्रसिद्ध धुआंधार प्रपात है जहाँ से गिरकर नर्मदा का रूप धुआँ जैसा बनाता है ।


संगमरमरी चट्टानों के बीच से बह कर नर्मदा अनुपम आलौकिक दृश्य उत्पन्न करती है धुंआधार की अल्हड उछलती किशोरी भेड़ाघाट तक आते हुए शांत सौम्य युवती बन कर राजकुमारी सी शालीनता से अपने ऐश्वर्य को ओढ़े हुए किसी को भी चमत्कृत करती है मानो कह रही हो मेरी अनुमति के बिना किसी का भी प्रवेश निषेध है

विश्व धरोहर' का हिस्सा है भेड़ाघाट जलप्रपात

यह मध्यप्रदेश के पर्यटन स्थलों में सबसे सुन्दर और महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। इसे देखने के लिए लोग सिर्फ भारत से ही नहीं बल्कि दुनिया के अलग-अलग क्षेत्रों से यहाँ आते हैं।

नर्मदा नदी का अतुल्य नज़ारा वह भी संगमरमर के चट्टानों से गिरता हुआ, भेड़ाघाट का प्रमुख आकर्षण है। नदी में नाव और नाविक की चटखारे लेते हुए रोचक किस्सों का बखान सुनते हुए इन चट्टानों के अद्भुत गठन को निहारने का आनन्द ऐसा की वर्णन को शब्द ही नहीं मिले । दिलचस्प बात यह है कि ये चट्टान हमें अलग-अलग आकर और जानवरों की तरह नज़र आते हैं। यहाँ तक कि आपके साथ नाव में सवार नाविक के साथ गाइड भी ऐसी चट्टानों को साथ कुछ मनोरंजक बातें और जनश्रुति बताता जाता है जो आपको कुछ जाने पहचाने आकर की तरह लगेंगे।

कभी कोई चट्टान ध्यान लगाये साधू की तरह तो कभी किसी हाथी के चेहरे की तरह, कभी कमल के फूल की तरह तो कभी बूट की तरह नाविक के शब्द जाल में पर्यटकों को दिखाई देती हैं ।

इस पर्यटन स्थल को 2021 को यूनेस्को द्वारा 'विश्व धरोहर' के रूप में भी सम्मिलित किया गया है।

भेड़ाघाट को संगमरमरीय सौंदर्य और शानदार झरनों के लिए ही जाना जाता है, साथ ही धुआंधार जलप्रपात चमकती हुई मार्बल की (संगमरमर की) 100 फीट ऊंची चट्टनों के लिए भी पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध है।

नर्मदा नदी इन संगमरमर की चट्टानों के मध्य से धीरे-धीरे बहती है और थोड़ी दूर जाकर धुंआधार के रूप में प्रसिद्ध एक झरने में मिल जाती है।

अब तक कोई भी पूरे तरीके से प्रकृति और इसकी सम्पूर्णता को समझ नहीं पाया है। हम मानव सिर्फ इसकी शानदार रचना को देख आश्चर्यचकित हो सकते है, और इसे सराह सकते हैं। इसको समझना हमारे समझ से बिलकुल ही परे है। उन्हीं प्राकृतिक अनोखे कृतियों में चट्टानों का प्राकृतिक गठन और पानी के बहाव से पछाड़ खा खा कर बेबस हो कर रास्ता देने का भाव भेड़ा घाट के बंदर कुंदनी में दिखता है ।यहाँ नदी और पहाड़ दोनों द्वंद के पश्चात अपनी अपनी ऊर्जा के साथ ,साथ होकर भी अलग अलग लीन लगते हैं।

समान्य तौर पर ज्वालामुखी से गठित हुए चट्टानें और बसॉल्ट चट्टानें ही दिखाई देती हैं पर मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले के भेड़ाघाट में आप इन सब से अलग संगमरमर की चट्टानें भी देखेंगे।

संगमरमर का विज्ञान


पृथ्वी की सतह के कठोर भाग को चट्टान कहते हैं. ये पृथ्वी की बाहरी परत की संरचना की मूलभूत इकाइयां हैं ।उत्पत्ति के आधार पर यह तीन प्रकार की होती हैं

आग्नेय चट्टान (Igneous Rock)


2. अवसादी चट्टान (Sedimentary Rock)


3. कायान्तरित चट्टान (Metamorphic Rock)


संगमरमर याएक कायांतरित चट्टानें है, जो कि चूना पत्थर के कायांतरण का परिणाम है। यह अधिकतर कैलसाइट का बना होता है, जो कि कैल्सियम कार्बोनेट (CaCO3) का स्फटिकीय रूप है। यह शिल्पकला के लिये निर्माण अवयव हेतु प्रयुक्त होता है।

 
 
 

1 Kommentar


puspendrachaturvedi
26. Apr. 2023

अति सुंदर

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