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खेल खेल में विज्ञान : बन्धन मुक्त प्रयोगशाला एक विचार एक प्रयास

Writer's picture: Medha BajpaiMedha Bajpai

25 वर्ष पुरानी बात है आदिवासी बहुल क्षेत्र के गर्ल्स स्कूल में भौतिक शास्त्र की व्याख्याता का पदभार ग्रहण किया ।पूरे उत्साह और जोश के साथ शिक्षण प्रारंभ किया । कुछ दिनों में समझ आ गया की teaching और learning में कुछ तो छूट रहा है थोड़ा बारीकी से निरीक्षण किया तो समझ आया कि मेरे द्वारा दिए गये उदाहरण जो भौतिकी के सिद्धांतों को समझाने के लिए दिए जा रहे हैं वह छात्राएँ ग्रहण नहीं कर पा रही हैं क्योंकि वह उनके परिवेश के नहीं हैं। 25 वर्ष पहले electric motor के अध्ययन के लिए उनहोंने mixer grinder या washing machine नहीं देखी थी।घर्षण के उदाहरण में टाइल्स कारगर नहीं था।


वह समय मंथन का था कि शिक्षण केवल ब्लैक बोर्ड में ही क्यों हो और प्रयोग केवल प्रयोगशाला से बंधे हुए क्यों हो।ज्ञान और विज्ञान किसी क्षेत्र भाषा और उम्र के मोहताज नहीं हैं । यही विज्ञान शिक्षण के दौरान यह भी अनुभव हुआ कि घर में रहने वाली महिला जो रसोई में काम करती है उसे विज्ञान की समझ हमेशा से है। जब 2 छात्रा चूल्हे को फूंकने वाली फूकनी लेकर आयी और निश्चछल सा प्रश्न की जब मुँह से कार्बन डाई ऑक्साइड उत्पन्न होती है तो भी चूल्हे की आग कैसे तीव्र हो जाती है | Bernoulli प्रमेय का इससे रोचक और hands on activity और क्या हो सकती है । · पापड़ का बेलन और रोटी के बेलन में अन्तर होता है सभी रसोई घर में रहने वाले लोग जानते हैं · उस समय उपयोग में आने वाले काँच का थरमस में गर्म पानी या चाय रखते समय एक धातु की चम्मच का उपयोग किया जाता है · नये बरतन में बनने वाले बड़ा सीधा या उल्टा प्रतिबिम्ब · Cohesive और adhesive forces · ज्वलन ताप और चाशनी के बनने में क्रिस्टल निर्माण · गर्म तवे पर पानी के छींटे और बादल गरजने की समानता · रसोई के रसायन में अम्ल क्षार पहचान और सिरका और सोडा मिलाकर उदासीन अभिक्रिया · घर के अल्यूमीनियम और तांबे के बर्तन, नमक से primary सेल को बनाना · घनत्व की पहचान · चिमटे का उपयोग · फ़ूंकनी का प्रयोग · ऐसे ही कितने सादे ढ़ंग से रसोई के सामान और उसी को आगे बढ़ाते हुए आसपास उपलब्ध सामान ,खिलौने,कबाड़ में विज्ञान ढूंढना आरंभ हुआ तो वह सिलसिला अभी भी जारी है। सम्पूर्ण शिक्षा वही है जो छात्रों के प्रति, जीवन के प्रति और विज्ञान के प्रति ईमानदार हो राष्ट्रीय पाठ्यचर्या 2005 NCF और अब की नई शिक्षा नीति में भी यही अवधारणा है।




बच्चे चारों दिशाओं से ज्ञान ग्रहण करते हैं सही समय पर सही आजादी के साथ बच्चे प्राप्त सूचना से जूझते हुए नये ज्ञान का सृजन करते हैं यही ज्ञान संरचना वाद constructivism है | राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कुछ मापदंडों के अनुसार शिक्षा में संज्ञानात्मक वैधता : अर्थात बच्चों के उम्र के अनुरूप शिक्षा हो।

विषय वस्तु वैधता : पाठ्यचर्या सहज और सरल रूप में प्रस्तुत हो।

प्रक्रिया वैधता : यह महत्वपूर्ण मापदंड जो शिक्षकों के लिए है क्योंकि विज्ञान कैसे सीखा जाये बच्चों तक पहुंचने की प्रक्रिया में सहजता एवं रचनात्मकता हो,मनोरंजन हो और जीवन से जोड़ता हो।

पर्यावरण वैधता : विज्ञान को व्यापक परिवेश ,स्थानीय और वैश्विक के संदर्भ में रखकर सिखाया जाना चाहिए। और नवाचार के तौर पर जब विज्ञान को रसोई के सामान से खिलौने से प्रकृति की घटनाओं से जोड़ कर देखा जाता है तो NCF के मापदंड पूरे होते चले जाते हैं । बच्चे निरीक्षण करते हैं, नवाचार करते हैं, अनुभव करते हैं, और प्रश्न करते हैं । बस इसी नवाचार को उनकी जीवन शैली में शामिल करना है।विज्ञान को पुस्तकों से बाहर लाकर जीवन से जोड़ना है कोई पूर्वाग्रह नहीं रखना है । कोई भी घटना कोई भी परम्परा या आध्यात्मिकता और सामाजिक धारणा को विज्ञान से सिद्ध किया जा सकता है और यही किया मैंने अपने छात्र छात्राओं के साथ ।यात्रा अभी भी जारी है।


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1 Comment


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Apr 09, 2021

बहुत शानदार कॉन्सेप्ट , शानदार आलेख। आपके नवाचार निश्चित ही बच्चों में वैज्ञानिक चेतना का विकास कर रहे है और रोचक ढंग से वे विज्ञान को वे समझ पा रहे है।

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