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कर्क रेखा की बात: मध्य प्रदेश के साथ

Writer's picture: Medha BajpaiMedha Bajpai

 कर्क रेखा की बात: मध्य प्रदेश के साथ 

“इसमें ऐसा क्या खास है कि आप इतनी दूर से मुझे दिखाने लाएं हो”

  भतीजे ने बड़े निराशा से कहा मैं उस को विश्व धरोहर साँची  के साथ अपने प्रदेश पर गौरव करने  वाले स्थानों के बारे में बताते जा रही थी और उसी श्रृंखला में कर्क रेखा (Tropic of cancer) रास्ते में पड़ा तो सहर्ष उसको दिखाने लगी तो उसकी यह प्रतिक्रिया आई। रेखा तो काल्पनिक ही है बस उसको दर्शाते हुए सड़क पर 2 सफेद पट्टियों को खींच दिया है।  हम विश्व धरोहर साँची से जोड़ने वाले राजमार्ग जो भोपाल मध्यप्रदेश से 27 किलोमीटर उत्तर पर  हाईवे 18 पर स्थित है, रायसेन जिले के दीवानगंज और सलामतपुर के बीच में  काल गणना के लिए अभी भी उपयोग में आने वाली कर्क रेखा को देखने के लिए रुके थे। यह कर्क रेखा भारत सहित  17 देशों और भारत में आठ राज्यों गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड ,पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और मिज़ोरम से गुजरती है।




 मध्यप्रदेश में पुरातन काल से  ज्ञानियों को ये पता था की उज्जैन से कर्क रेखा गुजरती थी  जिसके आधार पर महाकाल का मंदिर और वेधशालाओं का निर्माण हुआ था बाद में साँची के पास स्थित एक कर्क रेखा स्थान को ढूंढा और अभी वर्तमान में MPCST ने भोपाल के समीप बैरसिया तहसील के ग्राम रतुआ को भी कर्क रेखा के लिए चिन्हित किया है .

 मैं सोचने लगी की  सही भी तो है इस कर्क रेखा  जो की काल्पनिक रेखा है इसमें हम बच्चे में कैसे रुचि जागृत कर पायें ।विषुवत रेखा का वासी भी जी लेता है हांफ हांफ  कर ध्रुव का वासी जो हिम में तम में जी लेता है कांप कांप कर  (राम नरेश त्रिपाठी) जी की बचपन मे पढ़ी ये कविता इसलिए याद है की भूगोल, विज्ञान के साथ देश प्रेम का अद्भुत समावेश है इसमें तो मैं 5th क्लास में पढ़ने वाले भतीजे को इस कर्क रेखा के बारे मे कैसे बताएं। 



भोपाल का अक्षांश लगभग 23.2 डिग्री उत्तर है अतः यह भूमध्य रेखा से 23.2 डिग्री उत्तर में है और देशांतर रेखा का कोण लगभग 77.4 डिग्री पश्चिम है। यह अक्षांश और देशांतर रेखा भोपाल की भौगोलिक स्थिति को दिखाते हैं। अक्षांश उत्तर - दक्षिण की दिशा में स्थित होता है, जबकि देशांतर रेखा पूर्व-पश्चिम की दिशा में होती है।  दोनों कोणों के माध्यम से हम यह जान सकते हैं कि वर्तमान स्थिति में हम कहाँ स्थित हैं 


तो ये कर्क रेखा  (Tropic of cancer)है क्या इसकी क्यों आवश्यकता है

इसको समझने के पहले आइए जानते हैं कि अक्षांश और देशांतर रेखाएं क्या हैं —


 तो हम सबसे पहले बात करेंगे की पृथ्वी में किसी भी स्थान की स्थिति और उसके भूगोल को समझने के लिए ग्लोब में कुछ काल्पनिक रेखाओं की संरचना की गई है आड़ी रेखाओं को अक्षांश या  latitude और खड़ी रेखा को देशांतर या Longitude कहते हैं,  और उसको पृथ्वी के मॉडल ग्लोब पर बनाया गया है इस प्रकार हम पृथ्वी को खंडों में बांटते है जिससे अध्ययन करने में  आसानी हो।  पृथ्वी को मध्य से दो भागों में बांटने वाली अक्षांश रेखा भूमध्य रेखा कहलाती है | यह ग्लोब पर शून्य डिग्री पर अंकित होती है | इस रेखा के कारण पृथ्वी उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध में विभक्त होती है




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अक्षांश और देशांतर रेखाएं भूगोलीय स्थानों की स्थिति को दर्शाने के लिए उपयोग होती है

कर्क रेखा ग्लोब पर भूमध्य रेखा के समानंतर उत्तरी गोलार्ध में 23 .5 डिग्री पर पश्चिम से पूर्व की तरफ खिंची गई एक अक्षांश रेखा है | वर्ष के लगभग छह महीने सूर्य की सीधी किरणें कर्क रेखा पर पड़ती हैं 

कर्क रेखा उत्तरी गोलार्ध में भूमध्य रेखा‎ के समानान्तर 23°26′22″N 0°0′0″W / 23.43944°N -0.00000°E पर, ग्लोब पर पश्चिम से पूर्व की ओर खींची गई कल्पनिक रेखा हैं। यह रेखा पृथ्वी पर उन पांच प्रमुख अक्षांश रेखाओं में से एक हैं जो पृथ्वी के मानचित्र पर परिलक्षित होती हैं। कर्क रेखा पृथ्वी की उत्तरतम अक्षांश रेखा हैं, जिसपर सूर्य दोपहर के समय लम्बवत चमकता हैं।  २१ जून को जब सूर्य इस रेखा के एकदम ऊपर होता है, उत्तरी गोलार्ध में वह दिन सबसे लंबा व रात सबसे छोटी होती है। यहां इस दिन सबसे अधिक गर्मी होती है  क्योंकि सूर्य की किरणें यहां एकदम लंबवत पड़ती हैं। 

विश्व के मानचित्र पर कर्क रेखा और मकर रेखा 



इसी के समानान्तर दक्षिणी गोलार्ध में भी एक रेखा होती है जो मकर रेखा कहलाती हैं। भूमध्य रेखा इन दोनो के बीचो-बीच स्थित होती हैं। कर्क रेखा से मकर रेखा के बीच के स्थान को उष्णकटिबन्ध कहा जाता हैं।  सूर्य की स्थिति मकर रेखा से कर्क रेखा की ओर बढ़ने को उत्तरायण एवं कर्क रेखा से मकर रेखा को वापसी को दक्षिणायन कहते हैं। इस प्रकार वर्ष ६-६ माह के में दो अयन होते हैं।

कर्क रेखा सांची से होकर गुजरती होने का मतलब है कि सांची, मध्य प्रदेश स्थित होकर कर्क रेखा के ऊपर स्थित है। 

इससे हम यह जान सकते हैं कि सांची और इसके आस-पास के क्षेत्र किस भौगोलिक क्षेत्र में आते हैं और कैसा उच्चतम और न्यूनतम तापमान इस स्थान पर हो सकता है, क्योंकि कर्क रेखा क्षेत्रों के तापमान की विशेषता को दर्शाती ह

बच्चों को अक्षांश और देशांतर रेखा को समझाने के लिए एक मजेदार तरीका यह हो सकता है कि हम इसे एक नाटक के माध्यम से दिखाएं। यहां एक छोटी सी नाटिका है 



               नाटक: “ध्रुव और मोहन – भूमध्य यात्रा”*




  1. कहानी का संदेश:  एक छोटे से बच्चे  ध्रुव ने सुना कि भूमध्यरेखा पर बहुत सारे पर्वत हैं, और वह चाहता है कि वह एक दिन वहाँ जाए।

  2. आधिकारिक स्थान:** ध्रुव को एक पर्वत चुनने का कार्यक्रम बनाएं, जो भूमध्यरेखा के पास है। उसके साथ मोहन, एक हंस, भी है, जो सारी दुनिया की कहानियों को जानता है।

  3. पैरामीटर्स:  ध्रुव और मोहन को नाटक के दौरान अक्षांश और देशांतर रेखा पर ले जाएं। मोहन की कहानियों के माध्यम से वे दुनिया भर में यात्रा करें और बच्चों को विभिन्न स्थानों, मौसमों और लोगों से मिलें।

  4. अंत: ध्रुव और मोहन अपनी यात्रा के बाद वापस आते हैं, लेकिन ध्रुव अब अपने घर का स्थान बेहतर से समझता है और बच्चों को भी बताता है कि वे कैसे अपने स्थान की महत्वपूर्णता को समझ सकते हैं।

इस नाटक के माध्यम से बच्चों को अक्षांश और देशांतर रेखा के अवधारणाओं को आसानी से समझाया जा सकता है और उन्हें भूगोल के महत्वपूर्ण सिद्धांतों के साथ मजेदार अनुभव भी होगा। 






 

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